हर तरह की परिस्थिति में धैर्य बनाये रखना ही श्रेष्ठता है जय श्री कृष्णा
जो होने वाला है वो होकर ही रहता है और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता , ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है उन्हें चिंता कभी नहीं सताती। संसार के सयोग में जो सुख प्रतीत होता है , उसमे दुःख भी मिला रहता है .परन्तु संसार के वियोग से सुख दुःख से अखंड आनंद प्राप्त होता है।
समय से पहले और भाग्य से अधिक किसी को कुछ नहीं मिलता। गुस्से से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्याकुल हो जाती है, जब बुद्धि व्याकुल होती है तब इंसान में तर्क नष्ट हो जाते है, जब तर्क नष्ट होता है तब इंसान का पतन हो जाता है।
जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने ही ऊपर झेल लेता है, वह दूसरों के क्रोध से बच जाता है , किसी के प्रति मन में क्रोध लिये रहने की अपेक्षा उसे तुरंत प्रकट कर देना अधिक अच्छा है, जैसे क्षणभर में जल जाना देर तक सुलगने से अधिक अच्छा है।
किसी की आदत देखनी हो तो उसे इज्जत दो , किसी की फितरत देखनी हो तो उसे आजादी दो, किसी के गुण देखने हो तो उसके साथ खाना खाओ।
Life में इच्छायें पूरी नही होती है तो क्रोध बढ़ता है और इच्छायें पूरी होती है तो लोभ बढ़ता है इसलिए जीवन की हर तरह की परिस्थिति में धैर्य बनाये रखना ही श्रेष्ठता है।
प्रिय मित्र आपको यह आर्टिकल पसन्द आया हो तो Comments जरूर कीजिएगा। दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मेरे प्रिय मित्र। महाकाल आपकी सब मनोकामना पूर्ण करें, उनका स्नेह आपको और आपके सारे परिवार को सदैव मिले।:):):)
