Saturday, 13 June 2020

चरित्र को कभी आसानी से और शांति से विकसित नही किया जा सकता







प्रतिभा अपनी राह स्वयं निर्धारित कर लेती है और अपना दीप स्वयं ले चलती है – सुप्रभात


जहाँ प्रेम हैं, वहां जीवन हैं, कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है, ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है, अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं।








साख बनाने में बीस साल लगते हैं और उसे गंवाने में बस पांच मिनट, अगर आप इस बारे में सोचेंगे तो आप चीजें अलग तरह से करेंगे। प्रतिभा अपनी राह स्वयं निर्धारित कर लेती है और अपना दीप स्वयं ले चलती है।


मानव के अंदर जो कुछ सर्वोत्तम है, उसका विकास प्रशंसा तथा प्रोत्साहन के व्दारा किया जा सकता है। यदि तुम चाहते हो कि दुसरे तुम्हारी प्रशंसा करें, तो पहले तुम दूसरों की प्रशंसा करना सीखो। प्रशंसा वह हथियार है, जिससे शत्रु भी मित्र बनाया जा सकता है।








कड़ी महेनत करे और सब्र करे. आपको आपका फल जरूर मिलेगा। एक बार यदि आपने कोई दावा कर दिया तो आपको उसे निभाने के लिए कड़ी मेहनत और अनुशासन की जरुरत होती है। चरित्र को कभी आसानी से और शांति से विकसित नही किया जा सकता। बल्कि मुश्किलों का अनुभव और मुसीबतों को सहकर, साफ़ दृष्टी रखकर, उच्च विचार रखकर और सफलता प्राप्त करके ही इसे हासिल किया जा सकता है।


प्रिय मित्र आपको यह आर्टिकल पसन्द आया हो तो Comments जरूर कीजिएगा। दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मेरे प्रिय मित्र। महाकाल आपकी सब मनोकामना पूर्ण करें, उनका स्नेह आपको और आपके सारे परिवार को सदैव मिले।:):):)